भोपाल
मध्यप्रदेश में 22 साल बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव होंगे। नए साल के शिक्षण सत्र 2025-26 के लिए छात्र संघ चुनावों को लेकर सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रस्ताव में अक्टूबर 2025 चुनाव का उल्लेख किया गया है।
तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए सीएम डॉ. मोहन ने की थी पैरवी
दरअसल, मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने बतौर उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए तत्कालीन सरकार से छात्र संघ चुनावों की पैरवी की थी। लिहाजा प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनावों को लेकर कवायद शुरू हो गई है। उधर, प्रदेश के दो प्रमुख छात्र संगठन एनएसयूआई और एबीवीपी भी तैयारी शुरू कर दी हैं। चुनावों को लेकर विभागीय प्रस्ताव में चुनाव की अवधि 15 दिन की निर्धारित की गई है। लंबे अरसे के बाद हो रहे चुनावों को लेकर मुद्दे भी अपग्रेड हैं।
एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने बताया कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार के मामले पटे पड़े हुए हैं। लिहाजा विंग अलग-अलग यूनिवर्सिटी का काला चिट्ठा तैयार कर रही है। इसके अलावा छात्रों के बीच इलेक्शन कैंपेन भी व्यापम घोटाला, पटवारी परीक्षा घोटाला, नर्सिंग घोटाला, भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी, बेरोजगारी, शिक्षा में माफिया राज और बदहाल शिक्षा नीति के आधार पर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनावी की मांग एनएसयूआई द्वारा की जा रही है। लेकिन, अपनी नाकामी छिपाने के लिए छात्र संघ चुनावों से सरकार ने दूरी बनाई।
रोजगार सृजन और शिक्षा से राष्ट्र निर्माण के मुद्दों पर लड़ेंगे चुनाव- एबीवीपी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य महेंद्र ऋतिक मालवीय ने बताया कि एबीवीपी युवा समेत छात्र शक्ति का एक मात्र ऐसा संगठन जो राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करता है। एबीवीपी छात्रों के बीच उनके मुद्दों और समस्याओं को लेकर लगातार सक्रिय रहा है। सरकार नहीं बल्कि छात्र हित ही संगठन के लिए सर्वोपरि है। लिहाजा कई बार पक्ष-विपक्ष की सरकार के खिलाफ हम मुखर भी हुए। उन्होंने बताया कि इस बार के चुनावों में बेहतर शिक्षा नीति, राष्ट्रीय स्तर के संस्थाओं का आधार, छात्र एकता, राष्ट्र समर्पण और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों को लेकर छात्रों के बीच लगातार काम कर रहे हैं। बीते चुनावों में भी एबीवीपी एक विचारधारा के रूप में पूरे राष्ट्र के सामने अग्रणी स्थान पर ही रहा है।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव में ये अंतर
प्रत्यक्ष प्रणाली में संबंधित किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी का कोई भी स्टूडेंट किसी भी पद के लिए उम्मीदवार हो सकता है। हर छात्र मतदाता होता है। जबकि अप्रत्यक्ष प्रणाली में संबंधित कक्षा के सभी विषयों में पास हुआ स्टूडेंट ही उम्मीदवार होगा। छात्र-छात्राएं कक्षा प्रतिनिधि (सीआर) के चुनाव में वोट देते हैं। कक्षा प्रतिनिधि मिलकर अन्य पदों में शामिल अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सह सचिव और विश्वविद्यालय प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।