धार
भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सर्वे के 51वें दिन टीम ने भीतरी व बाहरी परिसर में सर्वे किया। भीतरी परिसर में दक्षिण भाग में ट्रेंच में खोदाई जारी रही। इस ट्रेंच में कई सीढ़ीनुमा संरचनाएं मिली हैं जिससे भीतरी भाग में तलघर होने की संभावना को बल मिला है। बाहरी परिसर में उत्तर दिशा में खोदाई के दौरान एक सिक्का मिला हैं।
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष व भोजशाला प्रकरण की याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने इसके पुरातात्विक महत्व का होने का दावा किया है। सहायक याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने सर्वे के बाद बताया कि गर्भगृह के सामने भीतरी परिसर के दक्षिण दिशा में बनी ट्रेंच के अंदर गहराई तक कई छोटी-बड़ी सीढ़ियां दिखाई दे रही हैं। हालांकि इसके बारे में एएसआइ टीम की फाइनल रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
शनिवार को भोजशाला प्रकरण की याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने भोजशाला के भीतर जाकर सर्वे कार्य देखा। उन्होंने बताया कि जिस तरह से खोदाई में लगातार अवशेष, मूर्तियां व भग्नावशेष मिल रहे हैं, इससे इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह स्थान महाराज भोज की बनाई हुई भोजशाला है। यह एक हिंदू मंदिर था और रहेगा।
आरोप- अयोध्या में हुए सर्वे जैसी गंभीरता नहीं
याचिकाकर्ता अग्निहोत्री ने कहा कि एएसआइ को अतिरिक्त समय मिला है। मेरे अनुभव के आधार पर ऐसा लगता है कि इस अतिरिक्त समय में भी सर्वे कार्य पूरा हो पाना संभव नहीं है। ऐसे में एएसआइ को एक बार फिर से अतिरिक्त समय लेना पड़ सकता है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सर्वे भिन्न है क्योंकि यहां अयोध्या में हुए सर्वे जैसी गंभीरता नहीं है। जब अयोध्या में एएसआइ की टीम ने सर्वे किया था तो वहां जब भी कोई वस्तु निकलती थी तो टीम उसे पारदर्शी तरीके से प्रस्तुत करती थी। यह टीम कुछ सुनती ही नहीं है। इनके सामने कुछ भी कहो तो यह कुछ नहीं सुनते।