पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा और समापन आश्विन अमावस्या के दिन होता है. इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर दिन मंगलवार से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होंगे. पितृ पक्ष के 16 दिन पितरों को तृप्त करने और उनको प्रसन्न करने के लिए होते हैं. पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों को याद कर तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि आदि करते हैं. ऐसा करने से पितर खुश होते हैं और तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं. हालांकि, श्राद्ध तर्पण मृत्यु की तिथि पर ही करने का विधान है. लेकिन, अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु की तारीख नहीं पता हो किस दिन श्राद्ध करना चाहिए? इस बारे में News18 को बता रहे हैं प्रताप विहार गाजियाबाद के ज्योतिर्विद और वास्तु विशेषज्ञ राकेश चतुर्वेदी
पितृ पक्ष की डेट और समय
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस बार चतुर्दशी तिथि 17 सितंबर को पूर्वाह्न 11.44 बजे तक है, उसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी. इसलिए दोपहर में पूर्णिमा का श्राद्ध होगा. इस बार किसी भी तिथि क्षय न होने से पूरे 16 दिन के श्राद्ध होंगे.
किसे किस दिन करना चाहिए श्राद्ध
यदि नाना-नानी का श्राद्ध करना है तो प्रतिपदा को करें.
अविवाहित मृत्यु होने वालों का श्राद्ध पंचमी को करें.
माता व अन्य महिलाओं का श्राद्ध नवमी को करें.
पिता, पितामह का श्राद्ध एकादशी व द्वादशी को करें.
अकाल मृत्यु होने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी को करें.
ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध अमावस्या को कर सकते हैं.
श्राद्ध करते हुए इन बातों का रखें ध्यान
यदि आप जनेऊ धारण पहनते हैं, तो पिंडदान के समय उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें.
चढ़ते सूर्य के समय ही पिंडदान करें. बहुत सुबह या अंधेरे में ये कर्म ठीक नहीं माना जाता है.
पितरों की श्राद्ध तिथि के दिन ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन करवाएं.
पिंडदान कांसे, तांबे या चांदी के बर्तन में या फिर प्लेट या पत्तल में करें.