उदयपुर।
शहर की शांति को 28 नवंबर की सुबह अचानक भंग कर दिया गया, जब इनकम टैक्स विभाग ने उदयपुर के प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्ट कारोबारी टीकम सिंह राव के घर और कार्यालय समेत 23 ठिकानों पर छापा मारा। यह रेड चार दिनों तक चली, और इसके अंत में सामने आया एक ऐसा काला सच जिसने पूरे राजस्थान को हिला दिया।
रेड के दौरान 137 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला। इसमें से 95 करोड़ रुपये के लेन-देन का कोई हिसाब-किताब नहीं था। कार्रवाई में 4 करोड़ रुपये नकद और 50 किलो सोना बरामद किया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि इसमें से 45 किलो सोना अघोषित निकला, जिसकी बाज़ार कीमत लगभग 38 करोड़ रुपये आंकी गई। टीकम सिंह राव, जो "उदयपुर गोल्डन ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड" के मालिक हैं, पर अवैध ट्रांसपोर्टेशन से काली कमाई करने के आरोप लगे हैं। इस पैसे का बड़ा हिस्सा लग्जरी कारों, होटलों और महंगी प्रॉपर्टी में निवेश किया गया। दस्तावेजों की जांच जारी है, और अधिकारियों को उम्मीद है कि काले धन की वास्तविक राशि इससे भी अधिक हो सकती है। टीकम सिंह के छोटे भाई, गोविंद सिंह राव, बांसवाड़ा में भाजपा जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। गोविंद सिंह कंपनी के कामकाज को संभालते थे। इनकम टैक्स विभाग ने उनके ठिकानों पर भी कार्रवाई की, जिससे परिवार के राजनीतिक और व्यावसायिक संबंधों की परतें खुल रही हैं। टीकम सिंह के 7 बैंक लॉकर खोले गए, जिनसे 25 किलो सोना और 2 करोड़ नकद मिले। अब तक कुल 50 किलो सोना और 5 करोड़ नकद जब्त किए जा चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह राजस्थान में अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है। टीकम सिंह खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्रस्तुत करते थे। उनकी तस्वीरें योग गुरु बाबा रामदेव के साथ भी देखी गई हैं। लेकिन इस रेड ने उनकी सामाजिक छवि के पीछे छिपे काले सच को उजागर कर दिया है। इनकम टैक्स विभाग ने जब्त दस्तावेजों की गहराई से जांच शुरू कर दी है। संभावना है कि इस कार्रवाई के बाद और भी बड़े खुलासे होंगे। टीकम सिंह का यह काला साम्राज्य कैसे बना और इसका जाल कितनी दूर तक फैला है, यह कहानी का अगला अध्याय होगा। उदयपुर की यह घटना एक सबक है कि भले ही काला धन और ताकत के दम पर छवि को चमकाया जा सकता है, लेकिन सच्चाई आखिरकार सामने आ ही जाती है।