उत्तरी इराक के मोसुल में ऐतिहासिक मस्जिद अल-नूरी की दीवारों में पांच बड़े बम पाए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक ये बम उस समय के हैं जब इस इलाके में आईएसआईएस का कब्जा था।
12वीं शताब्दी की ऊंची मीनारों के लिए फेमस इस मस्जिद को आईएसआईएल ने 2017 में ध्वस्त कर दिया था। हालांकि यूनेस्को ने 2020 से इसे एक बार फिर से ठीक कराने का काम शुरू किया।
यूनेस्को ने कहा कि मस्जिद में नमाज वाले हॉल की दक्षिणी दीवार में पांच बड़े साइज के बम पाए गए हैं। जाहिर सी बात है कि बड़े स्तर पर तबाही करने के लिए इन बमों को लगाया गया था।
ये पांचों बम जिंदा बताए गए हैं। इराक के प्रशासन का कहना है कि एक बम को तत्काल निष्क्रिय कर दिया गया था। वहीं बाकी के चार बम आपस में जुड़े हुए हैं और कुछ दिन में उन्हें भी निष्क्रिय किया जाएगा। फिलहाल पूरे इलाके में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इराक के प्रशासन ने फिलहाल यूनेस्को से अपना काम रोकने को कहा है। इराक की सरकार का कहना है कि जब तक पांचों बम निष्क्रिय ना हो जाएं तब तक मस्जिद परिसर में कोई भी कदम ना रखे। ISIL आतंकी अबू बकर अल बगदादी ने 29 जून 2014 को इस मस्जिद को खलीफा का अधिकार क्षेत्र घोषित कर दिया था।
2017 में मोसुल में आईएस के लड़ाकों ने इस मस्जिद को ढहाने की कोशिश की। बता दें कि मोसुल के शहरी इलाकों में आज भी कई जगहों पर आईएस के छिपाए गए बम मिल जाते हैं।
यूएन भी मोसुल में बारूदी सुरंगों को साफ करने में मदद करता है। मोसुल के पुराने शहर में अब भी कई इलाके रहने लायक नहीं हैं।
वहीं यूनेस्को ने अल नूरी मस्जिद को पूरी तरह रीस्टोर करना का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक का रखा है। फिलहाल आईएसआईएस के कब्जे में इराक और सीरिया का कोई इलाका नहीं है।
फिर भी अंदर-अंदर आतंकी संगठन में भर्ती और आए दिन हमलों की खबरें आती रहती हैं।
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